लालकुआं
जिलाधिकारी के आदेश पर जिले में फर्जी क्लिनिको एवं अवैध दवाइयां बेचने वालों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत बुधवार को लाल कुआं लाइनपार हाथीखाना में एक मकान पर छापा मारा जहां अन्य प्रदेश से आने वाला एक डॉक्टर बगैर किसी बोर्ड अथवा वैध कागजों के महीने में 1 दिन लोगों को दवा देकर हजारों के वारे न्यारे कर निकल जाता था स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सूचना मिलने पर टीम ने वहां छापा मारा जिसमें भारी मात्रा में स्टेरॉयड दवाइयां मिलीं किंतु यह छापा मात्र खानापूर्ति तथा मखौल बनकर तब रह गया जब टीम में सामंजस्य की कमी दिखाई दी स्वास्थ्य अधिकारी के कहने के बावजूद भी क्लीनिक सील नहीं किया गया
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार टीम के सामने से डॉक्टर रौनक अली टीम को गच्चा देकर निकल गया और आधा दर्जन से अधिक सदस्यों वाली टीम हाथ मलते रह गई।
पहला सवाल * यह उठता है इतने सारे लोगों के बीच से डॉक्टर कैसे निकला?
दूसरा सवाल* क्लीनिक सील ना कर मात्र दवाई के कुछ डब्बे सील कर खानापूर्ति कर ली गई क्यों और किसके दबाव में?
तीसरा सवाल *डॉक्टर जिस कार को छोड़कर भागा उसको पुलिस प्रशासन ने कब्जे में क्यों नहीं लिया किसका दबाव ?
जबकि कार जहां खड़ी थी वहां से गायब हो गई सूत्रों के अनुसार बीती रात कार डॉक्टर ले गया।
आपको बता दें देखने में तो यह सब सामान्य लगता है किंतु यदि सरकारी डॉक्टरों की माने को छापे में जिस प्रकार की दवाइयां पाई गई वह बहुत ही जटिल केसों में प्रयोग की जाती है जो अधिकृत अस्पतालों में भी निर्धारित मात्रा में स्टोर की जाती है किंतु छापे में क्लीनिक में मिली स्टेरॉयड दवाइयों की संख्या बहुत ज्यादा है।
अब इतने गंभीर मसलों में यदि यह सब हुआ तो किस के कहने या दबाव में हुआ अब दाल में काला है या सारी दाल ही काली है यह सब सोचनीय विषय है हम तो सिर्फ इतना कह सकते हैं।
जब एक ही उल्लू काफी है बर्बाद गुलिस्तां करने को
हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्तां क्या होगा
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