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जैसा आप सभी जानते हैं की भारत देश अपने रेलवे सिस्टम के लिए जाना जाता है पर भारत का एक ऐसा रेलवे स्टेशन भी है जो की 40 साल तक सिर्फ एक लड़की के साए की वजह से प्रसनिक तौर पे बंद रहा था हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में स्थित बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन की।

 

हम सभी ने बचपन में दादी नानी से  से भूत प्रीतो की कहानी सुनाने की जिद की है और उन्होंने सुनी भी हैं जिसके बाद हम रात को अकेले उठने डरते भी थे तब भी मजा आता था।पर अगर किया हो की जब सरकार को ही किसी स्टेशन को भूत प्रेत की वजह से 40 साल बंद करना पड़े ऐसा ही कुछ कहा जाता है बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन के बारे में।

एक लड़की के साए के कारण बंद हुआ बेगुन कोडोर स्टेशन।

आपको बता दें की बात 1960 की है जब पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन बनके तयार हुआ स्टेशन खुलने के कुछ साल बाद तो सब ठीक ठाक चल रहा था मगर सात साल बाद 1967 में एक स्टेशन मास्टर जिसकी उस स्टेशन पे नाइट ड्यूटी थी उसने ट्रेन के पीछे एक लड़की के साए को भागते हुए देखा उस लगा उसे लगा शायद किसी की ट्रेन छूत गई होगी और वह भाग के ट्रेन पकड़ने की कोशिश कर रह होगा मगर दूसरी रात भी उसे वही लड़की ट्रैक भागते हुए दिखी कभ वह ट्रेन के साथ भागती कभ उससे आगे निकल जाती उसने यह बात लोगो को बताई मगर किसी ने उसकी बात पर यकीन नहीं किया लोग तब अचंबे में पद गए जब स्टेशन मास्टर और उसका परिवार रहस्यमय ढंग से अपने घर मृत।

पाया गाय। लोगो का मानना था कि उसी आत्मा ने यह सब किया है लोग इतना घबरा गए की सूरज ढलने के बाद लोग स्टेशन के आस पास के इलाके से भाग जाया करते थे और ट्रेन ने भी वहा रुकना बंद कर दिया ट्रेन वहां गुजरती थी मगर बेगुनकोदर आते ही अपनी स्पीड बड़ा देती तथा लोग खिड़की दरवाजे पूरी तरह बंद कर लेते थे। धीरे धीरे लोगो ने वंहा आना जान बंद कर दिया गया यह तक की रेलवे कर्मचारी भी वहा से भाग गए और कोई वहा काम करने को तयार नहीं हुआ जिसे देखते हुए उस स्टेशन को बंद कर दिया गया।

 

2009 में फिर चालू हुआ स्टेशन।

आपको बता दें की पैरानॉर्मल एक्सपर्ट की एक टीम ने बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन पर रात गुजारी और सुबह मीडिया को यह  बताया कि वहां पर हमारे उपकरणों ने कुछ भी पैरानॉर्मल एक्टिविटी डिटेक्ट नही की है। यह सब होने के कुछ साल बाद 2009 में भारत तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने इस स्टेशन को पुनः खोल दिया जिसके बाद ट्रेन वहां रुकने लगी और लोग वह उतरते तथा चढ़ने लगे और समय के साथ लोगों का दर खत्म हो गया। सोचिए एक लड़की के साए की वजह से और लोगो की अफवाह की वजह से एक सरकारी स्थल को 40 साल बंद करना पड़ा।

आज यह स्टेशन बाकी स्टेशनों की तरह चलता है मगर वहां पर अंतिम ट्रेन साम से पहले निकल जाती जिसके करण शाम से सुबह तक यहां अब भी सुन सान ही रहता है।

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