बीते सोमवार की शाम को केंद्रीय चुनाव आयोग ने आधा विपक्षी पार्टियों तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और सीपीआई से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तथा बीआरएस आरएलडी आरएसपी से राज्य पार्टी का दर्जा छीन लियाहै ।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और सीपीआई से देशभर में वोट प्रतिशत 6% से कम शेयरिंग होने के कारण यह दर्जा इनसे वापसले लिया है।
वहीं चुनाव आयोग ने आप पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया है अब कुल मिलाकर 6 राष्ट्रीय पार्टियां हो गई हैं जो भारतीय जनता पार्टी कांग्रेश बीएसपी माकपा एनपीपी और आम आदमी पार्टी हैं
उधर निरंतर गिरते परिणामों से राष्ट्रीय लोक दल से राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा भी वापस ले लिया गया है। चुनाव आयोग के फैसले के बाद राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के अध्यक्ष जयंत चौधरी को बड़ा झटका लगा है।
उधर चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी को नेशनल पार्टी की मान्यता प्रदान कर दी है। राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए आम आदमी पार्टी को गुजरात या हिमाचल में 6% से ज्यादा वोट शेयर पाने की जरूरत थी। आप ने गुजरात में बेहतर प्रदर्शन किया। गुजरात में आप को लगभग 13% वोट शेयर प्राप्त हुआ है इस बढ़ते वोट प्रतिशत का फायदा आम आदमी पार्टी को मिला है । चुनाव आयोग ने ‘आप’ को राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता दे दी है।
आपको बता दें कि इससे पहले आम आदमी पार्टी को दिल्ली, पंजाब और गोवा में 6% से ज्यादा वोटों का शेयर मिल चुका है। पंजाब और दिल्ली में तो आम आदमी पार्टी ने एकदम कमाल किया है। दिल्ली और पंजाब दोनों जगह आम आदमी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार है।
चुनाव आयोग की इस घोषणा सेअरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को यह दर्जा मिलने पर पार्टी नेताओं ने खुशी और शुभकामनाओं के ट्वीट किए। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। बता दें कि
किसी भी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का तमगा हासिल करने के लिए लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6% वोट हासिल करना जरूरी है।
केंद्रीय चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार एक तरीका ये भी है कि राजनीतिक पार्टी को लोकसभा की कम से कम तीन राज्यों से कुल सीटों की 2% सीटें मिली हों अथवा किसी भी पार्टी को चार राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा मिलना भी उसकी योग्यता माना जाता है।
कोई भी राजनीतिक पार्टी इन तीनों में से कोई भी एक शर्त पूरी करने पर राष्ट्रीय दल का दर्जा लेने की हकदार हो जाती है।
कुल मिलाकर यहां तो यही कहावत चरितार्थ हो गई कि चौबे जी चले थे छब्बे बनने दुबे बनकर रह गए जो राजनीतिक पार्टियां राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए रात-दिन एक किए हुई थी वह आज राज्यस्तरीय पार्टियां बन कर रह गई और कुछ पार्टियां तो अपना राज्यस्तरीय धरातल भी खो बैठीं।
फोटो:–साभार गूगल
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