प्रदेश में अक्सर भूमि संबंधित ठगी के मामले सामने आते रहते हैं जिसमें ज्यादातर मामले भूमि की प्रकृति से संबंधित होते हैं कृषि योग्य भूमि को आवासीय कॉलोनी अथवा आवासीय बताकर कॉलोनाइजर द्वारा क्रेता से रकम लेकर कृषि भूमि विक्रय कर दी जाती है जो कि कानूनन गलत है और बाद में क्रेता उस जमीन पर मकान बनाने के बाद कानूनी पचड़ों में फंस जाता है ।
ऐसे ही मामलों में हरिद्वार जिले सहित कई स्थानों पर हाईकोर्ट की सख्ती का असर दिखने लगा है। कानून के डर से भूमाफियां भी अब यहां प्लॉट काटने से बच रहे हैं।
आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने बिना भूमि उपयोग का परिवर्तन किए जाने वाले निर्माण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर हाल ही में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को कृषि भूमि पर निर्माण पर रोक के संबंध में कानून का अनुपालन सुनिश्चित कराने के आदेश दिए थे। घटनाक्रम के अनुसार अतुल चौहान निवासी हरिद्वार द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई की थी। जिसमें ये बताया गया था कि यहां किसानों की कृषि भूमि को सस्ती दरों पर खरीदकर भूमि परिवर्तन के बिना कॉमर्शियल में इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके बाद एचआरडीए द्वारा यहां सख्ती की गई। एचआरडीए के क्षेत्रीय अधिकारी डीएस रावत ने बताया कि अभीतक एक दर्जन से अधिक अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जा चुका है। शिकायत मिलने के आधार पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। इधर, इस मामले में दो जनवरी को हाईकोर्ट में सुनवाई भी है।
आपको बताते चलें ऐसे अनेकों घटनाएं उधम सिंह नगर मैं भी सामने आई है जहां इसी प्रकार के कई भूमि संबंधी मामले सामने आए हैं हरिद्वार और उधम सिंह नगर इस मामले में कुछ ज्यादा ही भूमाफियाओं के निशाने पर हैं जहां मैदानी इलाके होने के कारण यहां भूमि खरीदने वालों की संख्या कुछ ज्यादा है जहां दिल्ली हरियाणा उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों के लोग आकर भूमि क्रय कर रहे हैं और इन भूमाफियाओं के चंगुल में फंसकर अपनी मेहनत की गाड़ी कमाई गंवा बैठते हैं।
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