लालकुआं: अभी आधा अप्रैल ही बीता है चैत्र का महीना चल रहा है और गर्मी अपने पूरे उबाल पर आ चुकी है इस बार मैदान ही नही पहाड़ भी गर्मी से अछूते नहीं हैं अभी अप्रैल का महीना खत्म भी नही हुआ और उत्तराखंड के जंगलों में कई बार आग लग चुकी है पहाड़ से लेकर तराई भाबर तक सब इस गर्मी से परेशान हूं और इसका एक बहुत बड़ा प्रभाव 19 अप्रैल को लोकसभा के लिए हुए मतदान पर भी देखने को मिला जहां है पिछले दो चुनावों से यानी 2014 और 2019 के चुनावों में 68 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था वहीं इस बार 2024 के चुनाव में महज 59 फीसदी मतदान हुआ है जिसकी एक बहुत बड़ी वजह मौसम भी है अप्रैल की चिलचिलाती गर्मी में लोग घरों से बाहर निकलना अवॉइड कर रहे हैं और मतदान वाले दिन भी लोग घरों से कम बाहर निकले गर्मी के ये आलम है कि तराई भाबर के क्षेत्र में अप्रैल में जून जैसी गरम लपट और हवाएं चल रही हैं ऐसे में बिजली विभाग का बिना अग्रिम नोटिस के रोज छोटे छोटे टुकड़ों में बिजली कटौती करना लोगों को और भी परेशान कर रहा है क्योंकि इस मौसम में फ्रिज कूलर और पंखे एक तरह की मूलभूत जरूरत हैं गर्मी से निजात माने के लिए ऐसे में बिजली विभाग को भी लोगों की समस्याओं को देखते हुए बिजली कटौती पर लगाम लगानी चाहिए साथ ही सरकार को भी अपने 24 घंटे बिजली के वादे को पूरा करना चाहिए वरना हो सकता है अगले चुनावों में ये मत प्रतिशत और नीचे आ जाए
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