उत्तराखंड में नगर निगमों नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों के चुनाव, होने वाले लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के बाद ही हो पाएंगे क्योंकि हाई कोर्ट के आदेशानुसार 2 जून तक प्रदेश सरकार को स्थानीय निकाय चुनाव करवा कर बोर्ड गठित करना है
आपको बताते चलें कि 1 दिसंबर 2023 को स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है जिनके लिए मिली जानकारी के अनुसार माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के चलते दो जून से पहले ही सरकार को चुनाव संपन्न कराने हैं किन्तु सारे देश में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता शीघ्र ही लागू हो जाएगी। इन हालातो में लोकसभा चुनाव के दौरान निकाय चुनाव कराने में तकनीकी परेशानियां पैदा हो सकती है अतः राज्य सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण लागू करने के मद्देनजर इस मामले में विशेष अनुमति ली जा सकती है जिससे कि लोकसभा के उत्तराखंड में पहले चरण के चुनाव होने के बाद स्थानीय निकाय के चुनाव के लिए भी आचार संहिता लागू की जा सके।
आपको बताते चलें 2018 में हुए स्थानीय निकाय चुनाव के बाद बनी निकाय बोर्डों का कार्यकाल 1 दिसंबर 2023 को खत्म हो चुका है इसके बाद निकायों में प्रशासक नियुक्त कर दिए गए हैं।
इधर दूसरी ओर स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए उत्तराखंड सरकार नगर निगम और नगर पालिका अधिनियम में संशोधन करने के लिए विधायक लाने की तैयारी में लगी है।आपको बता दें कि नियमों के अनुसार निकायों में ओबीसी का आरक्षण 14% नियत है किंतु एकल सदस्यीय समिति द्वारा पेश की रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय निकायों में आरक्षण का पैमाना कहीं 14% से ऊपर और कहीं 14% से नीचे चला गया है अतः विधेयक लाकर संशोधन किया जाना अति आवश्यक हो गया है।
अगर सरकारी गलियारों से निकल रही खबरों को माना जाए तो अप्रैल के अंतिम सप्ताह में निकाय चुनाव का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद मई में चुनाव हो सकते हैं।
फिलहाल हाई कोर्ट के आदेश अनुसार निकाय चुनाव कराए जाने को लेकर सरकार जी जान से प्रयासरत है।
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