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मोबाइल और लैपटॉप का अधिक प्रयोग करने वालों के लिए खुशखबरी अब आपकी बार-बार बैटरी चार्ज करने की प्रॉब्लम खत्म अब आपके गैजेट्स की बैटरियां देंगी आपको वर्तमान बैकअप से चौगुना बैकअप

ऐसा दावा पंडित गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के वैज्ञानिकों ने किया है ऐसी जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर डॉ एमजीएच ज़ैदी ने बताया कि मोबाइल एवं लैपटॉप जैसे गैजेट्स की बैटरी बार-बार खत्म होने से परेशान लोगों के लिए यह खोज बहुत ही सहायक सिद्ध होगी  उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा सस्ती और उच्च ऊर्जा संरक्षित बैटरी के लिए ग्रेफाइट युक्त इलेक्ट्रोड के निर्माण में सफलता हासिल कर ली गई है और इसके बाद विश्वविद्यालय द्वारा इसका पेटेंट भी दाखिल कर दिया है।

प्रोफेसर डॉ ज़ैदी ने कहा कि इस शोध के बाद गैजेट्स की बैटरियां बार-बार डिस्चार्ज होने की समस्या अब लगभग समाप्त हो जाएगी जहां विश्व में बढ़ती जनसंख्या के चलते परंपरागत ऊर्जा जैसे कि पेट्रोलियम कोयला व सौर ऊर्जा आदि के उत्पादन और उसका संरक्षण करने की बहुत अधिक आवश्यकता हो रही है वहीं दूसरी ओर विश्व का वैज्ञानिक समुदाय इस समस्या का हल टूटने के लिए प्रयत्नशील है किंतु हरित क्रांति के जनक के रूप में अपने तमाम शोधों से दुनिया को रूबरू कराने वाले पंडित गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर ने बाजी मारते हुए अपने इस शोध से एक बार फिर विश्वविद्यालय का दुनिया में डंका बजवा दिया है।

      पिछले 7 वर्षों के सतत प्रयत्नों से यहां के शोधार्थियों ने रसायन विज्ञान के प्राध्यापक डॉ. एमजीएच जैदी के निर्देशन में  इलेक्ट्रोड के माध्यम से प्रति ग्राम दो हजार फैरेट (चार्ज को स्टोरेज करने की क्षमता)  तक की ऊर्जा का उत्पादन कर के विश्व पटल पर अपना लोहा मनवा दिया है।‌ डॉ ज़ैदी ने बताया कि आने वाले समय में इस प्रकार के इलेक्ट्रोड लीथियम आयन (क्लोराइड या साल्ट) बैटरी की दक्षता बढ़ाने में सहायक होंगे। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि यही इलेक्ट्रोड मोबाइल, लैपटॉप आदि की बैटरियों की चार्जिंग और बैकअप तथा कार्य क्षमता का निर्धारण करते हैं। शीघ्र ही विवि का यह शोध व्यावसायिक तौर पर धरातल पर उतर आएगा और इसके बाद यह ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन वाला साबित होगा।
         डॉ जैदी ने यह भी बताया कि इस विषय  पर अब तक एक दर्जन शोधपत्र दाखिल हो चुके हैं जिसके अंतर्गत यह सिद्ध हुआ है । इलेक्ट्रोड बनाने की विधि के बारे में उन्होंने बताया कि यह अत्यंत सरल है जैसे कि से पहले स्टील की प्लेट को विशेष आकार के टुकड़ों में काटकर उसकी सतह को  रेगमाल से घिस कर रूखा बनाते हैं तथा इस टुकड़े पर बेगलाइट, चलायमान बहुलक (पॉलीमर), विशिष्ट प्रकार के लवण और अल्प मात्रा में अचलायमान बहुलक के सब मिश्रण का लेपन कर  दिया जाता है बता दे कि लेपन की इस प्रक्रिया में साधारण तापमान पर लगभग 6 से 7 घंटे लग जाते हैं  तत्पश्चात कम गर्म तापमान पर इसको सुखाया जाता है और इसके बाद उनका परीक्षण करते हैं और तब इस परीक्षण के लिए विभिन्न अस्थाई बैटरियां विकसित की जाती  हैं ।

           डॉक्टर एमजीएच जैदी ने इसकी रासायनिक जानकारी देते हुए आगे बताया कि ऊर्जा संरक्षण में उपयोगी ग्रेफाइट युक्त इलेक्ट्रोड के निर्माण में उपयोग में आने वाले रासायनिक पदार्थ बड़ी सरलता से बाजार में मिल जाते हैं उन्होंने बताया कि इस विधि द्वारा विकसित किए गए इलेक्ट्रोड अम्लीय, क्षारीय एवं उदासीन माध्यमों में विद्युत रासायनिक ऊर्जा का उत्कृष्ट संरक्षण करते हैं  आने वाले निकट भविष्य में इस प्रकार के इलेक्ट्रोड शुष्क बैटरियों की दक्षता एवं कार्य क्षमता कई गुना बढ़ाने में सहायक सिद्ध होंगे।

साभार- सुरेंद्र वर्मा वरिष्ठ पत्रकार
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