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नई दिल्ली:  बाबा रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण को पतंजलि आयुर्वेदा द्वारा भ्रामक विज्ञापन मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अगली सुनवाई की तारीख यानी 23 अप्रैल को अदालत में मौजूद रहने को कहा है

मामला 21 नवंबर 2023 को आदेश में दर्ज बयान के उल्लंघन का हैं जिसके लिए रामदेव और बालकृष्ण ने बिना शर्त व्यक्तिगत रूप से अदालत से माफी मांग ली है पर अदालत को ओर से उन्हें फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है

अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि रामदेव सार्वजनिक रूप से माफी मांगना चाहते हैं इस पर जस्टिस हिमा कोहली ने कहा की अदालत सुनना चाहती है कि रामदेव और बालकृष्ण क्या कहना चाहते हैं इसलिए उन दोनों को सामने आना चाहिए

मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने योग गुरु बाबा रामदेव और उनके सहयोगी पतंजलि आयुर्वेदा के एमडी बालकृष्ण को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है

ज्ञात हो कि पतंजलि आयुर्वेदा पर अपने प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता और चिकित्सीय प्रभावों को टीवी पर बढ़ा चढ़ा कर दिखाए जाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में केस चल रहा है इस संदर्भ में पीठ का कहना है कि हम ये जाहिर का हैं कि आप अच्छा काम कर रहे हैं पर आप सार्वजनिक रूप से एलोपैथी को नीचा नही दिखा सकते

जिसके बाद पतंजलि की तरफ से आश्वासन आया था कि आगे से इस तरह का कोई भी दावा जिसमे औषधीय प्रभाविकता को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाएगा कंपनी को तरफ से नहीं होगा ना ही इससे संबंधित कोई बयान मीडिया में दिया जाएगा

बावजूद इसके बाद में पतंजलि की ओर से इस आश्वासन का पालन न करने और मीडिया में दिए गए बयानों ने अदालत को नाराज किया है,अदालत ने रामदेव और बालकृष्ण के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है जिसमे पूछा गया है कि वे बताएं कि उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए

फिलहाल अगली कार्रवाई मंगलवार 23 अप्रैल को होनी है जिसमे दोनों को उपस्थित रहने को कहा गया है।

Sources internet media

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