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जब तक मनुष्य अपने मन की सामग्री यानी मन के भाव नहीं बदलेगा तब तक उसके जीवन में बदलाव आना संभव नहीं है

ग्रेटर नोएडा

प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक एवं पूर्व सिविल सेवा अधिकारी आचार्य प्रशांत ने नॉलेज पार्क स्थित केसीसी कॉलेज के संत सरिता सम्मेलन में कहा कि जब तक मनुष्य अपने मन की सामग्री यानी मन के भाव नहीं बदलेगा तब तक उसके जीवन में बदलाव आना संभव नहीं है प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक आचार्य प्रशांत ने कहा है कि जब तक मनुष्य अपने मन की सामग्री को नहीं बदलेगा तब तक उसके जीवन में प्रकाश नहीं आ सकता और वह जीवन भर बंधनों में ही उलझा रहेगा।
सम्मेलन में बोलते हुए आचार्य प्रशांत ने कहा कि हमारा अस्तित्व एक केंद्र का निर्माण करता है ,चारों ओर दुख दुख है इस पृथ्वी पर जितने भी जीव है वह किसी न किसी कारण दुखी हैं लेकिन सबसे बड़ी बात है कि वह खुद को बदलने की बजाय भौतिक संसाधनों से सुख प्राप्त करना चाहते हैं ,जब तक मन में जो कचरा इकट्ठा कर रखा है उसे नहीं छोड़ोगे तब तक जीवन में बदलाव नहीं आएगा सबसे पहले मन की सामग्री को बदलना होगा उसके लिए अध्यात्म की ओर जाना होगा बगैर अध्यात्म के बदलाव संभव नहीं है । उन्होंने कहा कि मन ने व्यर्थ के विषय पकड़ रखे हैं उनको हम छोड़ना नहीं चाहते सबसे पहले वह सामग्री छोड़नी होगी ।
उन्होंने कहा कि अगर जीवन को सही उद्देश्य नहीं देंगे खालीपन को नहीं हटाएंगे तो जीवन भर भटकते ही रहना पड़ेगा इससे बड़ा दुख कोई होता नहीं है उन्होंने कहा कि हम विषयों को छोड़ना ही नहीं चाहते ताकि हमारा झूठ कायम रहे यह एक बीमारी की तरह होता है आध्यात्मिक व्यक्ति को बोध हो जाता है वह खुद को मिटाने की एक सतत प्रक्रिया है , हमारी संगत कैसी है हमारा आज पड़ोस हमारे रिश्तेदार कैसे हैं हम क्या खाते हैं किस से मिलते हैं यह भी जांचना होता है। परिवर्तन फिर बाहर भी दिखाई देने लगते हैं स्मृति हमेशा झूठी होती है जो होती ही नहीं उसी को व्यर्थ ही पकड़ कर बैठे रहते हैं उसी से मनचाहा अर्थ निकाल देते हैं अहंकार कोई वस्तु नहीं काल्पनिक कहानी भर होती है। उन्होंने कहा कि मन को थोड़ा कड़ा करना होता है स्मृति को सही काम देकर भूलाना होता है एक बार कष्ट तो होगा लेकिन फिर राहत भी बहुत मिलती है जो यह सोचते हैं कि वह सब कुछ जानते हैं संसार में उससे बड़ा कोई मूर्ख नहीं है जो मन को जान गया उसको फिर व्यर्थ के विचारों से मुक्ति मिल जाती है तथा उसका जीवन सार्थक हो जाता है ।

आचार्य प्रशांत ने जलवायु परिवर्तन, मांसाहार ,महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर भी कारगर नीति बनाने की बात कही तथा कहा कि अगर हम अब भी नही जागे तो पृथ्वी को विनाश से कोई बचा नही पायेगा उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे साधकों के प्रश्नों का स्पष्टता के साथ उत्तर भी दिए।